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Surah An-Naziat in Hindi

Quran Hindi ⮕ Surah Naziat

Translation of the Meanings of Surah Naziat in Hindi - الهندية

The Quran in Hindi - Surah Naziat translated into Hindi, Surah An-Naziat in Hindi. We provide accurate translation of Surah Naziat in Hindi - الهندية, Verses 46 - Surah Number 79 - Page 583.

بسم الله الرحمن الرحيم

وَالنَّازِعَاتِ غَرْقًا (1)
शपथ है उन फ़रिश्तों की जो डूबकर (प्राण) निकालते हैं
وَالنَّاشِطَاتِ نَشْطًا (2)
और जो सरलता से (प्राण) निकालते हैं।
وَالسَّابِحَاتِ سَبْحًا (3)
और जो तैरते रहते हैं।
فَالسَّابِقَاتِ سَبْقًا (4)
फिर जो आगे निकल जाते हैं।
فَالْمُدَبِّرَاتِ أَمْرًا (5)
फिर जो कार्य की व्यवस्था करते हैं।
يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُ (6)
जिस दिन धरती काँपेगी।
تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ (7)
जिसके पीछे ही दूसरी कम्प आ जायेगी।
قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ (8)
उस दिन बहुत-से दिल धड़क रहे होंगे।
أَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ (9)
उनकी आँखें झुकी होंगी।
يَقُولُونَ أَإِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِي الْحَافِرَةِ (10)
वे कहते हैं कि क्या हम फिर पहली स्थिति में लाये जायेंगे
أَإِذَا كُنَّا عِظَامًا نَّخِرَةً (11)
जब हम (भुरभुरी) (खोखली) अस्थियाँ (हड्डियाँ) हो जायेंगे।
قَالُوا تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ (12)
उन्होंने कहाः तब तो इस वापसी में क्षति है।
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ (13)
बस वह एक झिड़की होगी।
فَإِذَا هُم بِالسَّاهِرَةِ (14)
तब वे अकस्मात धरती के ऊपर होंगे।
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَىٰ (15)
(हे नबी!) क्या तुम्हें मूसा का समाचार पहुँचा
إِذْ نَادَاهُ رَبُّهُ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى (16)
जब पवित्र वादी 'तुवा' में उसे उसके पालनहार ने पुकारा।
اذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَىٰ (17)
फ़िरऔन के पास जाओ, वह विद्रोही हो गया है।
فَقُلْ هَل لَّكَ إِلَىٰ أَن تَزَكَّىٰ (18)
तथा उससे कहो कि क्या तुम पवित्र होना चाहोगे
وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ (19)
और मैं तुम्हें तुम्हारे पालनहार की सीधी राह दिखाऊँ, तो तुम डरोगे
فَأَرَاهُ الْآيَةَ الْكُبْرَىٰ (20)
फिर उसे सबसे बड़ा चिन्ह (चमत्कार) दिखाया।
فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ (21)
तो उसने उसे झुठला दिया और बात न मानी।
ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ (22)
फिर प्रयास करने लगा।
فَحَشَرَ فَنَادَىٰ (23)
फिर लोगों को एकत्र किया, फिर पुकारा।
فَقَالَ أَنَا رَبُّكُمُ الْأَعْلَىٰ (24)
और कहाः मैं तुम्हारा परम पालनहार हूँ।
فَأَخَذَهُ اللَّهُ نَكَالَ الْآخِرَةِ وَالْأُولَىٰ (25)
तो अल्लाह ने उसे संसार तथा परलोक की यातना में घेर लिया।
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّمَن يَخْشَىٰ (26)
वास्तव में, इसमें उसके लिए शिक्षा है, जो डरता है।
أَأَنتُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمِ السَّمَاءُ ۚ بَنَاهَا (27)
क्या तुम्हें पैदा करना कठिन है अथवा आकाश को, जिसे उसने बनाया।
رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوَّاهَا (28)
उसकी छत ऊँची की और चौरस किया।
وَأَغْطَشَ لَيْلَهَا وَأَخْرَجَ ضُحَاهَا (29)
और उसकी रात को अंधेरी तथा दिन को उजाला किया।
وَالْأَرْضَ بَعْدَ ذَٰلِكَ دَحَاهَا (30)
और इसके बाद धरती को फैलाया।
أَخْرَجَ مِنْهَا مَاءَهَا وَمَرْعَاهَا (31)
और उससे पानी और चारा निकाला।
وَالْجِبَالَ أَرْسَاهَا (32)
और पर्वतों को गाड़ दिया।
مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ (33)
तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लाभ के लिए।
فَإِذَا جَاءَتِ الطَّامَّةُ الْكُبْرَىٰ (34)
तो जब प्रलय आयेगी।
يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْإِنسَانُ مَا سَعَىٰ (35)
उस दिन इन्सान अपना करतूत याद करेगा।
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ (36)
और देखने वाले के लिए नरक सामने कर दी जायेगी।
فَأَمَّا مَن طَغَىٰ (37)
तो जिसने विद्रोह किया।
وَآثَرَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا (38)
और सांसारिक जीवन को प्राथमिक्ता दी।
فَإِنَّ الْجَحِيمَ هِيَ الْمَأْوَىٰ (39)
तो नरक ही उसका आवास होगी।
وَأَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوَىٰ (40)
परन्तु, जो अपने पालनहार की महानता से डरा तथा अपने आपको मनमानी करने से रोका।
فَإِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوَىٰ (41)
तो निश्चय ही उसका आवास स्वर्ग है।
يَسْأَلُونَكَ عَنِ السَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَاهَا (42)
वे आपसे प्रश्न करते हैं कि वह समय कब आयेगा
فِيمَ أَنتَ مِن ذِكْرَاهَا (43)
तुम उसकी चर्चा में क्यों पड़े हो
إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَاهَا (44)
उसके होने के समय का ज्ञान तुम्हारे पालनहार के पास है।
إِنَّمَا أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخْشَاهَا (45)
तुम तो उसे सावधान करने के लिए हो, जो उससे डरता है।
كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوا إِلَّا عَشِيَّةً أَوْ ضُحَاهَا (46)
वे जिस दिन उसका दर्शन करेंगे, उन्हें ऐसा लगेगा कि वे संसार में एक संध्या या उसके सवेरे से अधिक नहीं ठहरे।
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Surahs from Quran :

1- Fatiha2- Baqarah
3- Al Imran4- Nisa
5- Maidah6- Anam
7- Araf8- Anfal
9- Tawbah10- Yunus
11- Hud12- Yusuf
13- Raad14- Ibrahim
15- Hijr16- Nahl
17- Al Isra18- Kahf
19- Maryam20- TaHa
21- Anbiya22- Hajj
23- Muminun24- An Nur
25- Furqan26- Shuara
27- Naml28- Qasas
29- Ankabut30- Rum
31- Luqman32- Sajdah
33- Ahzab34- Saba
35- Fatir36- Yasin
37- Assaaffat38- Sad
39- Zumar40- Ghafir
41- Fussilat42- shura
43- Zukhruf44- Ad Dukhaan
45- Jathiyah46- Ahqaf
47- Muhammad48- Al Fath
49- Hujurat50- Qaf
51- zariyat52- Tur
53- Najm54- Al Qamar
55- Rahman56- Waqiah
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