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अन्धे पर कोई दोष नहीं है, न लंगड़े पर कोई दोष[1] है, 24:61 Hindi translation

Quran infoHindiSurah An-Nur ⮕ (24:61) ayat 61 in Hindi

24:61 Surah An-Nur ayat 61 in Hindi (الهندية)

Quran with Hindi translation - Surah An-Nur ayat 61 - النور - Page - Juz 18

﴿لَّيۡسَ عَلَى ٱلۡأَعۡمَىٰ حَرَجٞ وَلَا عَلَى ٱلۡأَعۡرَجِ حَرَجٞ وَلَا عَلَى ٱلۡمَرِيضِ حَرَجٞ وَلَا عَلَىٰٓ أَنفُسِكُمۡ أَن تَأۡكُلُواْ مِنۢ بُيُوتِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ ءَابَآئِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ أُمَّهَٰتِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ إِخۡوَٰنِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ أَخَوَٰتِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ أَعۡمَٰمِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ عَمَّٰتِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ أَخۡوَٰلِكُمۡ أَوۡ بُيُوتِ خَٰلَٰتِكُمۡ أَوۡ مَا مَلَكۡتُم مَّفَاتِحَهُۥٓ أَوۡ صَدِيقِكُمۡۚ لَيۡسَ عَلَيۡكُمۡ جُنَاحٌ أَن تَأۡكُلُواْ جَمِيعًا أَوۡ أَشۡتَاتٗاۚ فَإِذَا دَخَلۡتُم بُيُوتٗا فَسَلِّمُواْ عَلَىٰٓ أَنفُسِكُمۡ تَحِيَّةٗ مِّنۡ عِندِ ٱللَّهِ مُبَٰرَكَةٗ طَيِّبَةٗۚ كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ ٱللَّهُ لَكُمُ ٱلۡأٓيَٰتِ لَعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُونَ ﴾
[النور: 61]

अन्धे पर कोई दोष नहीं है, न लंगड़े पर कोई दोष[1] है, न रोगी पर कोई दोष है और न स्वयं तुमपर कि खाओ अपने घरों[2] से, अपने बापों के घरों से, अपनी माँओं के धरों से, अपने भाईयों के घरों से, अपनी बहनों के घरों से, अपने चाचाओं के घरों से, अपनी फूफियों के घरों से, अपने मामाओं के घरों से, अपनी मौसियों के घरों से अथवा जिसकी चाबियों के तुम स्वामी[3] हो अथवा अपने मित्रों के घरों से। तुमपर कोई दोष नहीं, एक साथ खाओ या अलग अलग। फिर जब तुम प्रवेश करो घरों में,[4] तो अपनों को सलाम किया करो, एक आशीर्वाद है अल्लाह की ओर से निर्धारित किया हुआ, जो शुभ पवित्र है। इसी प्रकार, अल्लाह तुम्हारे लिए आयतों का वर्णन करता है, ताकि तुम समझ लो।

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ترجمة: ليس على الأعمى حرج ولا على الأعرج حرج ولا على المريض حرج, باللغة الهندية

﴿ليس على الأعمى حرج ولا على الأعرج حرج ولا على المريض حرج﴾ [النور: 61]

Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
na andhe ke lie koee haraj hai, na langade ke lie koee haraj hai aur na rogee ke lie koee haraj hai aur na tumhaare apane lie is baat mein ki tum apane gharon mein khao ya apane baapon ke gharon se ya apanee maano ke gharon se ya apane bhaiyon ke gharon se ya apanee bahanon ke gharon se ya apane chaachaon ke gharon se ya apanee phoophiyon (buaon) ke gharon se ya apanee khaalaon ke gharon se ya jisakee kunjiyon ke maalik hue ho ya apane mitr ke yahaan. isamen tumhaare lie koee haraj nahin ki tum milakar khao ya alag-alag. haan, alabatta jab gharon mein jaaya karo to apane logon ko salaam kiya karo, abhivaadan allaah kee or se niyat kiya hue, barakatavaala aur atyaadhik paak. is prakaar allaah tumhaare lie apanee aayaton ko spasht karata hai, taaki tum buddhi se kaam lo
Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
न अंधे के लिए कोई हरज है, न लँगड़े के लिए कोई हरज है और न रोगी के लिए कोई हरज है और न तुम्हारे अपने लिए इस बात में कि तुम अपने घरों में खाओ या अपने बापों के घरों से या अपनी माँओ के घरों से या अपने भाइयों के घरों से या अपनी बहनों के घरों से या अपने चाचाओं के घरों से या अपनी फूफियों (बुआओं) के घरों से या अपनी ख़ालाओं के घरों से या जिसकी कुंजियों के मालिक हुए हो या अपने मित्र के यहाँ। इसमें तुम्हारे लिए कोई हरज नहीं कि तुम मिलकर खाओ या अलग-अलग। हाँ, अलबत्ता जब घरों में जाया करो तो अपने लोगों को सलाम किया करो, अभिवादन अल्लाह की ओर से नियत किया हुए, बरकतवाला और अत्याधिक पाक। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को स्पष्ट करता है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो
Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
is baat mein na to andhe aadamee ke lie mazaeqa hai aur na langaden aadamee par kuchh ilzaam hai- aur na beemaar par koee gunaah hai aur na khud tum logo par ki apane gharon se khaana khao ya apane baap daada naana bagairah ke gharon se ya apanee maan daadee naanee vagairah ke gharon se ya apane bhaiyon ke gharon se ya apanee bahanon ke gharon se ya apane chachaon ke gharon se ya apanee phoofiyon ke gharon se ya apane maamooon ke gharon se ya apanee khaalaon ke gharon se ya us ghar se jisakee kunjiyaan tumhaare haath mein hai ya apane doston (ke gharon) se is mein bhee tum par koee ilzaam nahin ki sab ke sab milakar khao ya alag alag phir jab tum ghar vaalon mein jaane lago (aur vahaan kisee ka na pao) to khud apane hee oopar salaam kar liya karo jo khuda kee taraph se ek mubaarak paak va paakeeza tohapha hai- khuda yoon (apane) ehakaam tumase saaph saaph bayaan karata hai taaki tum samajho
Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
इस बात में न तो अंधे आदमी के लिए मज़ाएक़ा है और न लँगड़ें आदमी पर कुछ इल्ज़ाम है- और न बीमार पर कोई गुनाह है और न ख़ुद तुम लोगो पर कि अपने घरों से खाना खाओ या अपने बाप दादा नाना बग़ैरह के घरों से या अपनी माँ दादी नानी वगैरह के घरों से या अपने भाइयों के घरों से या अपनी बहनों के घरों से या अपने चचाओं के घरों से या अपनी फूफ़ियों के घरों से या अपने मामूओं के घरों से या अपनी खालाओं के घरों से या उस घर से जिसकी कुन्जियाँ तुम्हारे हाथ में है या अपने दोस्तों (के घरों) से इस में भी तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं कि सब के सब मिलकर खाओ या अलग अलग फिर जब तुम घर वालों में जाने लगो (और वहाँ किसी का न पाओ) तो ख़ुद अपने ही ऊपर सलाम कर लिया करो जो ख़ुदा की तरफ से एक मुबारक पाक व पाकीज़ा तोहफा है- ख़ुदा यूँ (अपने) एहकाम तुमसे साफ साफ बयान करता है ताकि तुम समझो
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