×

Surah Ar-Rahman in Hindi

Quran Hindi ⮕ Surah Rahman

Translation of the Meanings of Surah Rahman in Hindi - الهندية

The Quran in Hindi - Surah Rahman translated into Hindi, Surah Ar-Rahman in Hindi. We provide accurate translation of Surah Rahman in Hindi - الهندية, Verses 78 - Surah Number 55 - Page 531.

بسم الله الرحمن الرحيم

الرَّحْمَٰنُ (1)
अत्यंत कृपाशील ने।
عَلَّمَ الْقُرْآنَ (2)
शिक्षा दी क़ुर्आन की।
خَلَقَ الْإِنسَانَ (3)
उसीने उत्पन्न किया मनुष्य को।
عَلَّمَهُ الْبَيَانَ (4)
सिखाया उसे साफ़-साफ़ बोलना।
الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ (5)
सूर्य तथा चन्द्रमा एक (नियमित) ह़िसाब से हैं।
وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ (6)
तथा तारे और वृक्ष दोनों (उसे) सज्दा करते हैं।
وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ (7)
और आकाश को ऊँचा किया और रख दी तराजू।
أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ (8)
ताकि तुम उल्लंघन न करो तराजू (न्याय) में।
وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ (9)
तथा सीधी रखो तराजू न्याय के साथ और कम न तोलो।
وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ (10)
धरती को उसने (रहने योग्य) बनाया पूरी उत्पत्ति के लिए।
فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ (11)
जिसमें मेवे तथा गुच्छे वाले खजूर हैं।
وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ (12)
और भूसे वाले अन्न तथा सुगंधित (पुष्प) फूल हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (13)
तो (हे मनुष्य तथा जिन्न!) तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
خَلَقَ الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ (14)
उसने उत्पन्न किया मनुष्य को खनखनाते ठीकरी जैसे सूखे गारे से।
وَخَلَقَ الْجَانَّ مِن مَّارِجٍ مِّن نَّارٍ (15)
तथा उत्पन्न किया जिन्नों को अग्नि की ज्वाला से।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (16)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ (17)
वह दोनों सूर्योदय[1] के स्थानों तथा दोनों सूर्यास्त के स्थानों का स्वामी है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (18)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ (19)
उसने दो सागर बहा दिये, जिनका संगम होता है।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا يَبْغِيَانِ (20)
उन दोनों के बीच एक आड़ है। वह एक-दूसरे से मिल नहीं सकते।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (21)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ (22)
निकलता है उन दोनों से मोती तथा मूँगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (23)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ (24)
तथा उसी के अधिकार में हैं जहाज़, खड़े किये हुए सागर में पर्वतों जैसे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (25)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ (26)
प्रत्येक, जो धरती पर हैं, नाशवान हैं।
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ (27)
तथा शेष रह जायेगा आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का मुख (अस्तित्व)।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (28)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
يَسْأَلُهُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ (29)
उसीसे माँगते हैं, जो आकाशों तथा धरती में हैं। प्रत्येक दिन वह एक नये कार्य में है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (30)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ (31)
और शीघ्र ही हम पूर्णतः आकर्षित हो जायेंगे तुम्हारी ओर, हे (धरती के) दोनों बोझ[1] (जन्नो और मनुष्यो)
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (32)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَن تَنفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانفُذُوا ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ (33)
हे जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि निकल सकते हो आकाशों तथा थरती के किनारों से, तो निकल भागो और तुम निकल नहीं सकोगे बिना बड़ी शक्ति[1] के।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (34)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِّن نَّارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنتَصِرَانِ (35)
तुम दोनों पर अग्नि की ज्वाला तथा धुवाँ छोड़ा जायेगा। तो तुम अपनी सहायता नहीं कर सकोगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (36)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فَإِذَا انشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ (37)
जब आकाश (प्रलय के दिन) फट जायेगा, तो लाल हो जायेगा लाल चमड़े के समान।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (38)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فَيَوْمَئِذٍ لَّا يُسْأَلُ عَن ذَنبِهِ إِنسٌ وَلَا جَانٌّ (39)
तो उस दिन नहीं प्रश्न किया जायेगा अपने पाप का किसी मनुष्य से और न जिन्न से।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (40)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
يُعْرَفُ الْمُجْرِمُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ (41)
पहचान लिये जायेंगे अपराधी अपने मुखों से, तो पकड़ा जायेगा उनके माथे के बालों और पैरों को।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (42)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
هَٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُونَ (43)
यही वो नरक है, जिसे झूठ कह रहे थे अपराधी।
يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ آنٍ (44)
वे फिरते रहेंगे उसके बीच तथा खौलते पानी के बीच।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (45)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ جَنَّتَانِ (46)
और उसके लिए, जो डरा अपने पालनहार के समक्ष खड़े होने से, दो बाग़ हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (47)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
ذَوَاتَا أَفْنَانٍ (48)
दो बाग़, हरी-भरी शाखाओं वाले।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (49)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ (50)
उन दोनों में, दो जल स्रोत बहते होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (51)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِمَا مِن كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجَانِ (52)
उनमें, प्रत्येक फल के दो प्रकार होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (53)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ فُرُشٍ بَطَائِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍ ۚ وَجَنَى الْجَنَّتَيْنِ دَانٍ (54)
वे ऐसे बिस्तरों पर तकिये लगाये हुए होंगे, जिनके स्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों (की शाखायें) फलों से झुकी हुई होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (55)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِنَّ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ (56)
उनमें लजीली आँखों वाली स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें हाथ नहीं लगाया होगा किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (57)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
كَأَنَّهُنَّ الْيَاقُوتُ وَالْمَرْجَانُ (58)
जैसे वह हीरे और मोंगे हों।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (59)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ (60)
उपकार का बदला उपकार ही है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (61)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ (62)
तथा उन दोनों के सिवा[1] दो बाग़ होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (63)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
مُدْهَامَّتَانِ (64)
दोनों हरे-भरे होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (65)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ (66)
उन दोनों में, दो जल स्रोत होंगे उबलते हुए।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (67)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ (68)
उनमें, फल तथा खजूर और अनार होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (69)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ (70)
उनमें, सुचरिता सुन्दरियाँ होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (71)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
حُورٌ مَّقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ (72)
गोरियाँ सुरक्षित होंगी ख़ेमों में।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (73)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ (74)
नहीं हाथ लगाया होगा[1] उन्हें किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (75)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ (76)
वे तकिये लगाये हुए होंगे हरे ग़लीचों तथा सुन्दर बिस्तरों पर।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (77)
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ (78)
शुभ है आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का नाम।
❮ Previous Next ❯

Surahs from Quran :

1- Fatiha2- Baqarah
3- Al Imran4- Nisa
5- Maidah6- Anam
7- Araf8- Anfal
9- Tawbah10- Yunus
11- Hud12- Yusuf
13- Raad14- Ibrahim
15- Hijr16- Nahl
17- Al Isra18- Kahf
19- Maryam20- TaHa
21- Anbiya22- Hajj
23- Muminun24- An Nur
25- Furqan26- Shuara
27- Naml28- Qasas
29- Ankabut30- Rum
31- Luqman32- Sajdah
33- Ahzab34- Saba
35- Fatir36- Yasin
37- Assaaffat38- Sad
39- Zumar40- Ghafir
41- Fussilat42- shura
43- Zukhruf44- Ad Dukhaan
45- Jathiyah46- Ahqaf
47- Muhammad48- Al Fath
49- Hujurat50- Qaf
51- zariyat52- Tur
53- Najm54- Al Qamar
55- Rahman56- Waqiah
57- Hadid58- Mujadilah
59- Al Hashr60- Mumtahina
61- Saff62- Jumuah
63- Munafiqun64- Taghabun
65- Talaq66- Tahrim
67- Mulk68- Qalam
69- Al-Haqqah70- Maarij
71- Nuh72- Jinn
73- Muzammil74- Muddathir
75- Qiyamah76- Insan
77- Mursalat78- An Naba
79- Naziat80- Abasa
81- Takwir82- Infitar
83- Mutaffifin84- Inshiqaq
85- Buruj86- Tariq
87- Al Ala88- Ghashiya
89- Fajr90- Al Balad
91- Shams92- Lail
93- Duha94- Sharh
95- Tin96- Al Alaq
97- Qadr98- Bayyinah
99- Zalzalah100- Adiyat
101- Qariah102- Takathur
103- Al Asr104- Humazah
105- Al Fil106- Quraysh
107- Maun108- Kawthar
109- Kafirun110- Nasr
111- Masad112- Ikhlas
113- Falaq114- An Nas