القرآن باللغة الهندية - سورة الغاشية مترجمة إلى اللغة الهندية، Surah Ghashiya in Hindi. نوفر ترجمة دقيقة سورة الغاشية باللغة الهندية - Hindi, الآيات 26 - رقم السورة 88 - الصفحة 592.
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ الْغَاشِيَةِ (1) क्या तेरे पास पूरी सृष्टी पर छा जाने वाली (क्यामत) का समाचार आया |
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ خَاشِعَةٌ (2) उस दिन कितने मूँह सहमे होंगे। |
عَامِلَةٌ نَّاصِبَةٌ (3) परिश्रम करते थके जा रहे होंगे। |
تَصْلَىٰ نَارًا حَامِيَةً (4) पर वे दहकती आग में जायेंगे। |
تُسْقَىٰ مِنْ عَيْنٍ آنِيَةٍ (5) उन्हें खोलते सोते का जल पिलाया जायेगा। |
لَّيْسَ لَهُمْ طَعَامٌ إِلَّا مِن ضَرِيعٍ (6) उनके लिए कटीली झाड़ के सिवा, कोई भोजन सामग्री नहीं होगी। |
لَّا يُسْمِنُ وَلَا يُغْنِي مِن جُوعٍ (7) जो न मोटा करेगी और न भूख दूर करेगी। |
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَّاعِمَةٌ (8) कितने मुख उस दिन निर्मल होंगे। |
لِّسَعْيِهَا رَاضِيَةٌ (9) अपने प्रयास से प्रसन्न होंगे। |
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ (10) ऊँचे स्वर्ग में होंगे। |
لَّا تَسْمَعُ فِيهَا لَاغِيَةً (11) उसमें कोई बकवास नहीं सुनेंगे। |
فِيهَا عَيْنٌ جَارِيَةٌ (12) उसमें बहता जल स्रोत होगा। |
فِيهَا سُرُرٌ مَّرْفُوعَةٌ (13) और उसमें ऊँचे-ऊँचे सिंहासन होंगे। |
وَأَكْوَابٌ مَّوْضُوعَةٌ (14) उसमें बहुत सारे प्याले रखे होंगे। |
وَنَمَارِقُ مَصْفُوفَةٌ (15) पंक्तियों में गलीचे लगे होंगे। |
وَزَرَابِيُّ مَبْثُوثَةٌ (16) और मख़्मली क़ालीनें बिछी होंगी। |
أَفَلَا يَنظُرُونَ إِلَى الْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ (17) क्या वह ऊँटों को नहीं देखते कि कैसे पैदा किये गये हैं |
وَإِلَى السَّمَاءِ كَيْفَ رُفِعَتْ (18) और आकाश को कि किस प्रकार ऊँचा किया गया |
وَإِلَى الْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ (19) और पर्वतों को कि कैसे गाड़े गये |
وَإِلَى الْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ (20) तथा धरती को कि कैसे पसारी गयी |
فَذَكِّرْ إِنَّمَا أَنتَ مُذَكِّرٌ (21) अतः आप शिक्षा (नसीह़त) दें कि आप शिक्षा देने वाले हैं। |
لَّسْتَ عَلَيْهِم بِمُصَيْطِرٍ (22) आप उनपर अधिकारी नहीं हैं। |
إِلَّا مَن تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ (23) परन्तु, जो मुँह फेरेगा और नहीं मानेगा |
فَيُعَذِّبُهُ اللَّهُ الْعَذَابَ الْأَكْبَرَ (24) तो अल्लाह उसे भारी यातना देगा। |
إِنَّ إِلَيْنَا إِيَابَهُمْ (25) उन्हें हमारी ओर ही वापस आना है। |
ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا حِسَابَهُم (26) फिर हमें ही उनका ह़िसाब लेना है। |