القرآن باللغة الهندية - سورة عبس مترجمة إلى اللغة الهندية، Surah Abasa in Hindi. نوفر ترجمة دقيقة سورة عبس باللغة الهندية - Hindi, الآيات 42 - رقم السورة 80 - الصفحة 585.

| عَبَسَ وَتَوَلَّىٰ (1) (नबी ने) त्योरी चढ़ाई तथा मुँह फेर लिया। |
| أَن جَاءَهُ الْأَعْمَىٰ (2) इस कारण कि उसके पास एक अँधा आया। |
| وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّهُ يَزَّكَّىٰ (3) और तुम क्या जानो शायद वह पवित्रता प्राप्त करे। |
| أَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنفَعَهُ الذِّكْرَىٰ (4) या नसीह़त ग्रहण करे, जो उसे लाभ देती। |
| أَمَّا مَنِ اسْتَغْنَىٰ (5) परन्तु, जो विमुख (निश्चिन्त) है। |
| فَأَنتَ لَهُ تَصَدَّىٰ (6) तुम उनकी ओर ध्यान दे रहे हो। |
| وَمَا عَلَيْكَ أَلَّا يَزَّكَّىٰ (7) जबकि तुमपर कोई दोष नहीं, यदि वह पवित्रता ग्रहण न करे। |
| وَأَمَّا مَن جَاءَكَ يَسْعَىٰ (8) तथा जो तुम्हारे पास दौड़ता आया। |
| وَهُوَ يَخْشَىٰ (9) और वह डर भी रहा है। |
| فَأَنتَ عَنْهُ تَلَهَّىٰ (10) तुम उसकी ओर ध्यान नहीं देते। |
| كَلَّا إِنَّهَا تَذْكِرَةٌ (11) कदापि ये न करो, ये (अर्थात क़ुर्आन) एक स्मृति (याद दहानी) है। |
| فَمَن شَاءَ ذَكَرَهُ (12) अतः, जो चाहे स्मरण (याद) करे। |
| فِي صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍ (13) माननीय शास्त्रों में है। |
| مَّرْفُوعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ (14) जो ऊँचे तथा पवित्र हैं। |
| بِأَيْدِي سَفَرَةٍ (15) ऐसे लेखकों (फ़रिश्तों) के हाथों में है। |
| كِرَامٍ بَرَرَةٍ (16) जो सम्मानित और आदरणीय हैं। |
| قُتِلَ الْإِنسَانُ مَا أَكْفَرَهُ (17) इन्सान मारा जाये, वह कितना कृतघ्न (नाशुक्रा) है। |
| مِنْ أَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهُ (18) उसे किस वस्तु से (अल्लाह) ने पैदा किया |
| مِن نُّطْفَةٍ خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ (19) उसे वीर्य से पैदा किया, फिर उसका भाग्य बनाया। |
| ثُمَّ السَّبِيلَ يَسَّرَهُ (20) फिर उसके लिए मार्ग सरल किया। |
| ثُمَّ أَمَاتَهُ فَأَقْبَرَهُ (21) फिर मौत दी, फिर समाधि में डाल दिया। |
| ثُمَّ إِذَا شَاءَ أَنشَرَهُ (22) फिर जब चाहेगा, उसे जीवित कर लेगा। |
| كَلَّا لَمَّا يَقْضِ مَا أَمَرَهُ (23) वस्तुतः, उसने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया। |
| فَلْيَنظُرِ الْإِنسَانُ إِلَىٰ طَعَامِهِ (24) इन्सान अपने भोजन की ओर ध्यान दे। |
| أَنَّا صَبَبْنَا الْمَاءَ صَبًّا (25) हमने मूसलाधार वर्षा की। |
| ثُمَّ شَقَقْنَا الْأَرْضَ شَقًّا (26) फिर धरती को चीरा फाड़ा। |
| فَأَنبَتْنَا فِيهَا حَبًّا (27) फिर उससे अन्न उगाया। |
| وَعِنَبًا وَقَضْبًا (28) तथा अंगूर और तरकारियाँ। |
| وَزَيْتُونًا وَنَخْلًا (29) तथा ज़ैतून एवं खजूर। |
| وَحَدَائِقَ غُلْبًا (30) तथा घने बाग़। |
| وَفَاكِهَةً وَأَبًّا (31) एवं फल तथा वनस्पतियाँ। |
| مَّتَاعًا لَّكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ (32) तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लिए। |
| فَإِذَا جَاءَتِ الصَّاخَّةُ (33) तो जब कान फाड़ देने वाली (प्रलय) आ जायेगी। |
| يَوْمَ يَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ أَخِيهِ (34) उस दिन इन्सान अपने भाई से भागेगा। |
| وَأُمِّهِ وَأَبِيهِ (35) तथा अपने माता और पिता से। |
| وَصَاحِبَتِهِ وَبَنِيهِ (36) एवं अपनी पत्नी तथा अपने पुत्रों से। |
| لِكُلِّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ يَوْمَئِذٍ شَأْنٌ يُغْنِيهِ (37) प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन अपनी पड़ी होगी। |
| وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ مُّسْفِرَةٌ (38) उस दिन बहुत से चेहरे उज्ज्वल होंगे। |
| ضَاحِكَةٌ مُّسْتَبْشِرَةٌ (39) हंसते एवं प्रसन्न होंगे। |
| وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ عَلَيْهَا غَبَرَةٌ (40) तथा बहुत-से चेहरों पर धूल पड़ी होगी। |
| تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ (41) उनपर कालिमा छाई होगी। |
| أُولَٰئِكَ هُمُ الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ (42) वही काफ़िर और कुकर्मी लोग हैं। |