القرآن باللغة الهندية - سورة النبأ مترجمة إلى اللغة الهندية، Surah An Naba in Hindi. نوفر ترجمة دقيقة سورة النبأ باللغة الهندية - Hindi, الآيات 40 - رقم السورة 78 - الصفحة 582.
عَمَّ يَتَسَاءَلُونَ (1) वे आपस में किस विषय में प्रश्न कर रहे हैं |
عَنِ النَّبَإِ الْعَظِيمِ (2) बहुत बड़ी सूचना के विषय में। |
الَّذِي هُمْ فِيهِ مُخْتَلِفُونَ (3) जिसमें मतभेद कर रहे हैं। |
كَلَّا سَيَعْلَمُونَ (4) निश्चय वे जान लेंगे। |
ثُمَّ كَلَّا سَيَعْلَمُونَ (5) फिर निश्चय वे जान लेंगे। |
أَلَمْ نَجْعَلِ الْأَرْضَ مِهَادًا (6) क्या हमने धरती को पालना नहीं बनाया |
وَالْجِبَالَ أَوْتَادًا (7) और पर्वतों को मेख |
وَخَلَقْنَاكُمْ أَزْوَاجًا (8) तथा तुम्हें जोड़े-जोड़े पैदा किया। |
وَجَعَلْنَا نَوْمَكُمْ سُبَاتًا (9) तथा तुम्हारी निद्रा को स्थिरता (आराम) बनाया। |
وَجَعَلْنَا اللَّيْلَ لِبَاسًا (10) और रात को वस्त्र बनाया। |
وَجَعَلْنَا النَّهَارَ مَعَاشًا (11) और दिन को कमाने के लिए बनाया। |
وَبَنَيْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعًا شِدَادًا (12) तथा हमने तुम्हारे ऊपर सात दृढ़ आकाश बनाये। |
وَجَعَلْنَا سِرَاجًا وَهَّاجًا (13) और एक दमकता दीप (सूर्य) बनाया। |
وَأَنزَلْنَا مِنَ الْمُعْصِرَاتِ مَاءً ثَجَّاجًا (14) और बादलों से मूसलाधार वर्षा की। |
لِّنُخْرِجَ بِهِ حَبًّا وَنَبَاتًا (15) ताकि उससे अन्न और वनस्पति उपजायें। |
وَجَنَّاتٍ أَلْفَافًا (16) और घने-घने बाग़। |
إِنَّ يَوْمَ الْفَصْلِ كَانَ مِيقَاتًا (17) निश्चय निर्णय (फ़ैसले) का दिन निश्चित है। |
يَوْمَ يُنفَخُ فِي الصُّورِ فَتَأْتُونَ أَفْوَاجًا (18) जिस दिन सूर में फूँका जायेगा। फिर तुम दलों ही दलों में चले आओगे। |
وَفُتِحَتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ أَبْوَابًا (19) और आकाश खोल दिया जायेगा, तो उसमें द्वार ही द्वार हो जायेंगे। |
وَسُيِّرَتِ الْجِبَالُ فَكَانَتْ سَرَابًا (20) और पर्वत चला दिये जायेंगे, तो वे मरिचिका बन जायेंगे। |
إِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتْ مِرْصَادًا (21) वास्तव में, नरक घात में है। |
لِّلطَّاغِينَ مَآبًا (22) जो दुराचारियों का स्थान है। |
لَّابِثِينَ فِيهَا أَحْقَابًا (23) जिसमें वे असंख्य वर्षों तक रहेंगे। |
لَّا يَذُوقُونَ فِيهَا بَرْدًا وَلَا شَرَابًا (24) उसमें ठणडी तथा पेय (पीने की चीज़) नहीं चखेंगे। |
إِلَّا حَمِيمًا وَغَسَّاقًا (25) सिवाये गर्म पानी और पीप रक्त के। |
جَزَاءً وِفَاقًا (26) ये पूरा-पूरा प्रतिफल है। |
إِنَّهُمْ كَانُوا لَا يَرْجُونَ حِسَابًا (27) निःसंदेह वे ह़िसाब की आशा नहीं रखते थे। |
وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا كِذَّابًا (28) तथा वे हमारी आयतों को झुठलाते थे। |
وَكُلَّ شَيْءٍ أَحْصَيْنَاهُ كِتَابًا (29) और हमने सब विषय लिखकर सुरक्षित कर लिये हैं। |
فَذُوقُوا فَلَن نَّزِيدَكُمْ إِلَّا عَذَابًا (30) तो चखो, हम तुम्हारी यातना अधिक ही करते रहेंगे। |
إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ مَفَازًا (31) वास्तव में, जो डरते हैं उन्हीं के लिए सफलता है। |
حَدَائِقَ وَأَعْنَابًا (32) बाग़ तथा अँगूर हैं। |
وَكَوَاعِبَ أَتْرَابًا (33) और नवयुवति कुमारियाँ। |
وَكَأْسًا دِهَاقًا (34) और छलकते प्याले। |
لَّا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا كِذَّابًا (35) उसमें बकवास और मिथ्या बातें नहीं सुनेंगे। |
جَزَاءً مِّن رَّبِّكَ عَطَاءً حِسَابًا (36) ये तुम्हारे पालनहार की ओर से भरपूर पुरस्कार है। |
رَّبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الرَّحْمَٰنِ ۖ لَا يَمْلِكُونَ مِنْهُ خِطَابًا (37) जो आकाश, धरती तथा जो उनके बीच है, सबका अति करुणामय पालनहार है। जिससे बात करने का वे साहस नहीं कर सकेंगे। |
يَوْمَ يَقُومُ الرُّوحُ وَالْمَلَائِكَةُ صَفًّا ۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ الرَّحْمَٰنُ وَقَالَ صَوَابًا (38) जिस दिन रूह़ (जिब्रील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और सह़ीह़ बात करेगा। |
ذَٰلِكَ الْيَوْمُ الْحَقُّ ۖ فَمَن شَاءَ اتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِ مَآبًا (39) वह दिन निःसंदेह होना ही है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर (जाने का) ठिकाना बना ले। |
إِنَّا أَنذَرْنَاكُمْ عَذَابًا قَرِيبًا يَوْمَ يَنظُرُ الْمَرْءُ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُ وَيَقُولُ الْكَافِرُ يَا لَيْتَنِي كُنتُ تُرَابًا (40) हमने तुम्हें समीप यातना से सावधान कर दिया, जिस दिन इन्सान अपना करतूत देखेगा और काफ़िर (विश्वासहीन) कहेगा कि काश मैं मिट्टी हो जाता |